Paper 23 मानव सौन्दर्य परिप्रेक्ष्य में निराला काव्य: एक विश्लेषण

PAPER ID:IJIM/V.I(IX)/166-171/23

AUTHOR: अलका रानी

TITLE :मानव सौन्दर्य परिप्रेक्ष्य में निराला काव्य: एक विश्लेषण

Abstract :बीसवीं सदी के काव्य-रचनाकारों में हिन्दी कविता को सबसे अलग व नई ऊर्जा से संपृक्त करने वाले महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने जो सृजन किया, वह काव्य-जीवन और साहित्य के श्रेष्ठतम मूल्यों से अनुप्राणित है । निराला ने मानव सौंदय का सुन्दर और सजीव चित्रण किया है । निराला ने नारी रूप रचना में उसकी सुकुमारता, मसृणता, उज्ज्वलता, लालिमा तथा मधुरता आदि का भरपूर चित्रण किया है । नारी के युवती एवं वृद्धा दो रूपों को विवेचन का विषय बनाया है। सौंदर्य द्रष्टा कवि निराला ने पुरुष सौंदर्य का रुपायन मात्र आंतरिक सौंदर्य, गुण अथवा कर्म सौंदर्य में किया है । आंगिक या बाह्य सौंदर्य के अतिरिक्त निराला ने सौंदर्य के समेकित तथा आनुभाविक का भी वर्णन किया है । निराला ने माता-संतान के रिश्ते को शिशु-सौंदर्य में अभिव्यक्ति किया है । निर्धनता में पल रहे बालकों की सरलता, सहजता, निर्मलता एवं पवित्रता को स्वीकारा है। समस्त दलित-पीड़ितों का सुख उनका लक्ष्य रहा है जो भिक्षुक और उनके दो बालकों के सौंदर्य चित्रण में देखा जा सकता है।

Keywords : काव्य-जीवन, चित्रण, युवती

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